मां का दूध ही शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार”, संदेश पहुंचेगा जन-जन तक
बालोतरा : जिला कार्यक्रम अधिकारी विजय सिंह ने बताया कि स्तनपान के प्रति जन-जागरूकता लाने के मक़सद से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में गुरुवार से जिले में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्तनपान जागरूकता सप्ताह प्रारंभ किया गया। सप्ताह के दौरान माँ के दूध के महत्व की जानकारी देने के साथ ही उन्हें बताया जाएगा कि नवजात शिशुओं के लिए माँ का दूध अमृत समान है। इस बार सभी चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता की शपथ लेंगे।
सीएमएचओ डॉ. वांकाराम चौधरी ने बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह, विश्वभर के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और स्तनपान कराने को प्रोत्साहित करने के लिए एक सौ सत्तर से अधिक देशों में प्रतिवर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह (एक अगस्त से सात अगस्त) में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना भी है। माँ का दूध बच्चे के लिए अनमोल उपहार है। मां का दूध, बच्चे के सम्पूर्ण विकास के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है तथा बच्चे को छह महीने की अवस्था तक मां के दूध के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक आहार नहीं दिया जाना चाहिए। प्रत्येक माँ को स्तनपान कराने की तकनीकों जैसे कि स्तनपान कैसे कराएँ और स्तनपान कब कराना चाहिए तथा स्तनपान से संबंधित अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। माँ का दूध शिशुओं को कुपोषण व अतिसार जैसी बीमारियों से बचाता है। एसीएमएचओ डॉ. पुखराज ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम, पीला, चिपचिपा/गाढ़ा दूध संपूर्ण आहार है। जन्म के तुरंत बाद, एक घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू किया जाना चाहिए। शिशु को छह महीने की अवस्था के बाद और दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी दिया जाना चाहिए। स्तनपान कराने के दौरान, धूम्रपान अथवा शराब का सेवन न करें। यह बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी विजय सिंह ने बताया कि स्तनपान कराने से पहले अथवा बाद में उचित स्वच्छता बनाई रखनी चाहिए। बच्चे को उसकी आवश्यकता के अनुसार अथवा चौबीस घंटों में आठ बार स्तनपान अवश्य करवाना चाहिए। बच्चे के लिए बोतल से दूध पीना हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इससे शिशु को पतले दस्त/मल होने की समस्या हो सकती है।
शिशु के लिए स्तनपान के लाभ:
आरसीएचओ डॉ. ताराचंद ने बताया कि शिशु को स्तनपान से प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और आवश्यक एंजाइम पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते है। स्तन का दूध जल्दी और आसानी से पचता हैं। यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जो कि बच्चे को भविष्य में कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाता हैं। यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। यह संक्रमण से मुक्त होता हैं। स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक संबंध को मजबूत बनाता है।
माँ लिए स्तनपान के लाभ:
सीएमएचओ डॉ. वांकाराम चौधरी बताते हैं कि यह स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर होने की संभावना को कम करता है। यह प्रसव से पहले खून बहना और एनीमिया की संभावना को कम करता है। यह माँ को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत कम पाया जाता है। स्तनपान कराना, बच्चों में मृत्यु/मृत्यु दर को कम करता है। स्तनपान करने वाले बच्चों में उत्कृष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास होता हैं तथा वे कई प्रकार की घातक की बीमारियों की रोकथाम में सक्षम बनते है।
