हीटवेव के बचाव के लिये आमजन एडवाईजरी की करें पालना – जिला कलक्टर
बालोतरा। आपदा प्रबन्धन सहायता एवं नागरिक सुरक्षा विभाग राजस्थान, जयपुर द्वारा गर्मी ऋतु में बढ़ते हुए तापमान, ताप की लहर, हीटवेव से आमजन से बचाव के लिए एडवाईजरी जारी की गई है।
जिला कलक्टर सुशील कुमार यादव ने बताया कि हीटवेव के बचाव के लिये आमजन एडवाईजरी की पालना करते हुए लू-तापघात से बचाव के लिए समुचित उपाय करें।
आपदा प्रबन्धन द्वारा जारी एडवाईजरी के अनुसार लू-तापघात एवं हीटवेव बचाव के लिए आमजन को पर्याप्त पानी पीने के साथ ही नीम्बू पानी, छाछ आदि के सेवन की सलाह दी गई है, वही हल्के रंग के ढ़ीले सूती कपड़े पहनने, सिर को कपड़े व टोपी से ढ़कने, आंखों की सुरक्षा के लिए धूप चश्मे का प्रयोग करने की भी सलाह दी गई है। इसी प्रकार नियोक्ता एवं श्रमिक के लिये एडवाईजरी जारी की गई हैं कि कार्य स्थल पर ठण्डे पेयजल का प्रबंध रखें, श्रमिकों को लिये छाया-पानी एवं ओआरएस घोल पैकेट्स का प्रबंध रखने, श्रम साघ्य कार्याे को दिन के कम ताप वाले समय में करने इत्यादि की सलाह दी गई है।
जिला कलक्टर सुशील कुमार यादव ने एडवाईजरी की जानकारी देते हुए आमजन से यह भी आह्वान किया कि वे बन्द वाहन में बच्चों व फालतू जानवरों को कभी अकेला नहीं छोड़ने, अन्य सावधानियों के तहत पंखे व नम कपड़ों का प्रयोग करने, ठण्डे पानी से स्नान करने, छायादार पेड़ों के नीचे बैठने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही पशुधन को हीटवेव से बचाने के लिये पशुओं को छाया में रखने, समय-समय पर ठण्डा पानी पिलाने, अत्यधिक गर्मी के दौरान पानी का छिड़काव पशु आश्रय स्थल पर करने के साथ ही पशुओं को हरी घास, प्रोटीन वसा खाद्य पदार्थ खिलाने एवं खनिज मिश्रण व नमक देने की सलाह दी गई है।
इसके साथ ही हीटवेव से बचाव के लिए क्या नहीं करें इसके बारे में सलाह दी कि धूप में बाहर जाने से बचें, नंगे पाव बाहर नहीं जायें, दिन में सबसे गर्म समय के दौरान खाना पकाने से बचने, शराब, चाय-कॉफी एवं कार्बाेनेटेड शीतल पेय के सेवन से बचने, अधिक प्रोटीन वाले भोजन से बचने की भी सलाह दी गई है।
इसके साथ ही लू से प्रभावित व्यक्ति को उपचार के लिए सिर पर गिले कपड़े का उपयोग करने, ओआरएस/नींबू, शरबत या जो कुछ भी शरीर को पुनः सक्रीय करने के लिए उपयोगी हो पेय पदार्थ लेने, नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर उपचार लेने लेने की भी सलाह दी गई है।
यह है लू एवं तापघात के लक्षण
शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू व तापघात से सिर का भारीपन व अत्यधिक सिरदर्द होने लगता है। इसके अलावा अधिक प्यास लगाना, शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढऩा, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना व बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि लक्षण आने लगते हैं। चिकित्सकीय दृष्टि से लू-तापघात के लक्षण, लवण व पानी की आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। ऐसे में रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढीले कर लेटा दिया जावे। रोगी को होश मे आने की दशा मे उसे ठण्डा पेय पदार्थ पिलाएं। उक्त सावधानी के बाद भी मरीज ठीक नहीं होता है, तो उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्थान ले जाया जाए।
जरूरी है सावधानी
जिला प्रशासन ने आमजन से भीषण गर्मी के चलते अहतियात बरतने की अपील की है। जिला कलक्टर ने कहा कि जहां तक सम्भव हो धूप में न निकलें, धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। आमजन जब भी बाहर निकलें, छाता व पानी आदि की व्यवस्था अनुरूप घर से निकलें। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़ व गर्म घुटन भरे कमरों से बचें। बिना भोजन किए बाहर न निकलें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही जरूरी होने पर बाहर निकलें। रंगीन चश्में एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिएं एवं पेय पदार्थाे जैसे निंबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें। लू तापघात से प्राय हाईरिस्क श्रेणी वाले लोग जैसे कि कुपोषित बच्चे, वृद्धजन, गर्भवती महिलाएं व शुगर, बीपी आदि के मरीज शीघ्र प्रभावित होते हैं। इन्हें बाहर न निकलने दें व इनका विशेष ध्यान रखें। स्वास्थ्य संबंधी जरूरत होने पर तत्काल 108 को कॉल करें या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं। नरेगा अथवा अन्य श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखा जावे ताकि श्रमिक थोड़ी-थोड़ी देर में छायादार स्थानों पर विश्राम कर सकें।
