बालोतरा। माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के एक्शन प्लान के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बालोतरा द्वारा राजकीय अम्बेडकर छात्रावास सं. 02 बालोतरा में प्राधिकरण के सचिव श्री सिद्धार्थ दीप द्वारा विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों के उत्थान एवं समग्र रूप विकास की ओर अग्रसर करना व अपने अधिकारों के प्रति जागरुक करना है।
श्री सिद्धार्थ दीप ने उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि आदिवासी संस्कृतियां एक बहुमूल्य खजाना हैं। उनके पारंपरिक ज्ञान ने हमें कृषि, औषधी, पर्यावरण संरक्षण और सतत जीवन जीने के अनमोल सबक दिए हैं। उनकी कला, संगीत और नृत्य हमारी सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध करते हैं। हालांकि, यह दुखद है कि आदिवासी समुदाय आज भी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भूमि हरण, सामाजिक बहिष्कार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की असमानता, इन मुद्दों ने उनके जीवन को प्रभावित किया है। हमारे कर्तव्य के रूप में, हमें इन समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। उनके अधिकारों की रक्षा करना, उनकी आवाज को सुनना और उनके विकास के लिए सहयोग करना आवश्यक है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से हम उन्हें अपने अधिकारों का उपयोग करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बना सकते हैं।
साथ ही सचिव ने आदिवासी अधिकार सरंक्षण एवं प्रवर्तन योजना 2015, अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989, वन अधिकार अधिनियम 2006 के विभिन्न प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी।
उन्होने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को संविधान द्वारा प्रदत मौलिक अधिकारों जैसे अनुच्छेद 15 जो कानून के समक्ष जाति, लिंग, धर्म, और जन्म के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता हैं, अनुच्छेद 16 जो सरकारी नौकरियों में समानता के अवसर और अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण एवं अनुच्छेद 17 जो छुआछूत को प्रतिबंधित करता हैं। साथ ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के बारे में भी जानकारी दी।

